आरबीआई ने सिबिल स्कोर के नियमों में अभी कुछ दिन पहले काफी बड़ा बदलाव किया है। इस प्रकार से भारतीय रिजर्व बैंक ने इन नियमों के बारे में सभी बैंकों को और वित्तीय संस्थानों को सभी आवश्यक निर्देश जारी कर दिए हैं।
इस तरह से अब बैंकों को और वित्तीय संस्थानों को नियमित रूप से 15 दिन में क्रेडिट ब्यूरो का सारा डाटा अनिवार्य तौर पर अपडेट करना पड़ेगा। तो ऐसे में आपको आरबीआई द्वारा जारी किए गए सिबिल स्कोर के इन सभी नियमों के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए। अगर आपको सिबिल स्कोर से संबंधित प्रत्येक जानकारी चाहिए तो इसके लिए आप हमारा आज का यह आर्टिकल पढ़ सकते हैं।
आज हम आपको जानकारी देंगे कि भारतीय रिजर्व बैंक ने क्रेडिट रिर्पोटिंग सिस्टम में कौन से नियम बदले हैं। इसके अलावा हम आपको यह भी बताएंगे कि इन नियमों का क्या प्रभाव होगा। इसके अलावा क्रेडिट स्कोर की श्रेणी के बारे में भी हम आपको बताएंगे और नए नियमों के महत्वपूर्ण फायदे भी इस लेख में आपको जानने को मिलेंगे।
CIBIL Score Rule
भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई की तरफ से क्रेडिट रिर्पोटिंग प्रणाली में अब कुछ बदलाव कर दिए गए हैं। नए नियमों के अनुसार अब वित्तीय संस्थानों को और बैंकों को हर 15 दिन के बाद क्रेडिट ब्यूरो का डाटा अनिवार्य तौर पर अपडेट करना होगा।
हालांकि पहले यह प्रक्रिया हर महीने में एक बार संपन्न होती थी लेकिन अब यह नई दिशा निर्देश भारतीय रिजर्व बैंक ने 1 जनवरी 2025 से लागू कर दिए हैं। इसलिए अब सभी बैंकों को और वित्तीय संस्थानों को आरबीआई के इन नए नियमों के मुताबिक क्रेडिट स्कोर को अपडेट करना होगा।
सिबिल स्कोर के नए नियमों का प्रभाव
भारतीय रिजर्व बैंक ने सिबिल स्कोर के जो नए नियम बनाए हैं इनका प्रभाव सकारात्मक ही होगा। इसके पीछे कारण है कि अब नए नियम के मुताबिक क्रेडिट स्कोर की गणना और इसको अपडेट करने की प्रक्रिया को तेज किया जाएगा।
इस प्रकार से हम आपको बता दें कि जब पहले कोई व्यक्ति लोन चुकाता था तो इसके बारे में जानकारी देर से अपडेट होती थी। इसकी वजह से ग्राहक के क्रेडिट स्कोर पर नकारात्मक असर देखने को मिलता था।
इसके कारण उपभोक्ता को नया लोन लेने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता था। तो इसलिए सरकार ने अब 15 दिन की रिपोर्टिंग का समय रखा है जिसकी वजह से अब उपभोक्ता के क्रेडिट स्कोर पर बुरा असर नहीं देखने को मिलेगा।
सिबिल स्कोर के नए नियम के मुताबिक 15 दिन की रिपोर्टिंग का अर्थ
जैसा कि हमने आपको बताया कि आरबीआई ने अब सिबिल स्कोर को लेकर नए नियम बनाए हैं जिसके माध्यम से प्रत्येक 15 दिन में बैंकों और वित्तीय संस्थानों को उपभोक्ता के सिबिल स्कोर की रिपोर्टिंग करनी जरूरी है। तो इसके कई प्रकार के महत्वपूर्ण फायदे कुछ इस प्रकार से हमने निम्नलिखित बताए हैं :-
- यदि कोई ग्राहक समय पर लोन या फिर क्रेडिट कार्ड की किस्त का भुगतान करता है तो ऐसे में इसका क्रेडिट स्कोर बेहतर बनेगा।
- वित्तीय संस्थानों और बैंकों को लोन देने से पूर्व ज्यादा सही और मौजूदा समय का क्रेडिट स्कोर प्राप्त होगा जिसके आधार पर सही फैसला लिया जा सकेगा।
- पहले यदि देखें तो हर महीने क्रेडिट स्कोर की रिपोर्टिंग की जाती थी जिसमें आमतौर पर 40 दिन तक की देरी भी हो जाती थी और इसके कारण बैंक गलत निर्णय ले सकते थे। अब इस प्रक्रिया को तेज किया जाएगा और ग्राहकों के वित्तीय व्यवहार पर नजर रखना संभव होगा।
- नए नियम के मुताबिक अब एवरग्रीनिंग पर रोक लगाई जाएगी। इस तरह से पहले पुराने कर्ज के भुगतान हेतु नया ऋण दिया जाता था तो अब इस पर भी अंकुश लगाया जाएगा जिससे कि कर्ज का सही प्रकार से मूल्यांकन संभव हो सके।
सिबिल स्कोर नियम के मुताबिक क्रेडिट स्कोर श्रेणियां
यदि आपको नहीं पता तो हम आपको बता दें कि क्रेडिट स्कोर 300 से लेकर 900 के बीच में रखा जाता है। इस तरह से जो क्रेडिट स्कोर 700 से ज्यादा होता है तो इसे काफी अच्छा माना जाता है। निम्नलिखित हम आपको क्रेडिट स्कोर की सभी श्रेणियों के बारे में जानकारी दे रहे हैं ताकि आप आसानी से इसे समझ सकें :-
- 300 से लेकर 579 तक का क्रेडिट स्कोर खराब होता है।
- 580 से लेकर 669 तक के क्रेडिट स्कोर को औसत माना जाता है।
- जबकि 670 से लेकर 739 तक का क्रेडिट स्कोर अच्छा होता है।
- इसी प्रकार से 740 से लेकर 799 तक का क्रेडिट स्कोर बहुत अच्छा माना जाता है।
- वहीं 800 से अधिक का क्रेडिट स्कोर सबसे श्रेष्ठ माना जाता है।
सिबिल स्कोर के नए नियमों के लाभ
आरबीआई द्वारा सिबिल स्कोर के जो नए नियम अब लागू किए गए हैं तो इसके कई प्रकार के फायदे होंगे। आपको जानकारी के लिए बता दें कि अब उधारकर्ता का क्रेडिट स्कोर शीघ्रता के साथ अपडेट हो पाएगा। जो ग्राहक अपना भुगतान समय पर करते हैं तो ऐसे में इन्हें बेहतर क्रेडिट स्कोर प्रदान किया जाएगा।
इसके अलावा नए नियमों का एक लाभ यह भी है कि बैंकों को लोन देने के लिए पुराना डाटा नहीं देखना पड़ेगा। बल्कि बैंक 15 दिनों के अंदर अंदर अपडेट किए गए डाटा के माध्यम से व्यक्ति को लोन देने का निर्णय ले सकते हैं।
इसलिए आप अपना क्रेडिट स्कोर स्वयं भी नियमित रूप से जाचंते रहें और अगर इसमें आपको किसी प्रकार की कोई गलती दिखाई देती है तो आप इसके बारे में शिकायत क्रेडिट ब्यूरो में दर्ज करवा सकते हैं। अगर आपका क्रेडिट स्कोर अपडेट रहेगा तो ऐसे में आपको पैसे की आवश्यकता पड़ने पर लोन लेने में समस्या नहीं होगी।